चमोली का सुमना गांव, जहां टूटा ग्लेशियर

चमोली का सुमना गांव, जहां टूटा ग्लेशियर

hys_adm | April 24, 2021 | 1 | देश-दुनिया , पर्यावरण

भारत-चीन सीमा से लगे उत्तराखंड के सुमना-2 में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कैंप के समीप शुक्रवार देर शाम को ग्लेशियर टूटकर सड़क पर आ गिरा। ग्लेशियर की चपेट में आने से बीआरओ के आठ मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई है। जबकि 7 मजदूर घायल हुए हैं। 384 मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं। यह क्षेत्र चमोली जिले के जोशीमठ से लगभग 94 किमी आगे है। हालांकि वैज्ञानिक इसे हिमस्खलन #Avalanche बता रहे हैं। सुमना ग्लेशियर दुर्घटना में सात घायलों को हेली के माध्यम से जोशीमठ आर्मी हेलीपैड लाया गया है, जिसमे छह घायलों को मिलिट्री हॉस्पिटल जोशीमठ में भर्ती कराया गया है। एक घायल को मिलिट्री हॉस्पिटल देहरादून रेफर किया गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार सुबह हेलीकॉप्टर से आपदा क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण कर प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया। इसके बाद जोशीमठ में जिला प्रशासन, पुलिस, अर्मी, आईटीबीपी के उच्चाधिकारियों के साथ घटना की गहनता से समीक्षा करते हुए रेस्क्यू कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू के लिए जो भी संशाधनों की आवश्यकता होगी, वो उपलब्ध कराए जाएगें। इस दौरान उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डा. धन सिंह रावत और बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट भी उनके साथ थे।

छह घायलों का इलाज जोशीमठ के सेना के अस्पताल में चल रहा है।

जोशीमठ में सुबह साढ़े 11 बजे पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने बताया कि घटना के तुरंत बाद से सेना, जिला प्रशासन, आईटीबीपी और एनडीआरएफ सहित बीआरओ युद्ध स्तर पर रेस्क्यू के कार्य में जुटी है। स्थान पर यह घटना घटित हुई है। वह जोशीमठ से करीब 94 किलामीटर दूर है। यह पूरा इलाका संचार और आबादी क्षेत्र से विहीन है। यहां पर बीआरओ की ओर से सीमा पर सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है। शुक्रवार को सीमा क्षेत्र में ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट कर सड़क पर आ गया, जिससे यह हादसा हुआ।

घटनास्थल की हेलीकॉप्टर से ली गई तस्वीर।

चमोली की डीएम स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि घटना स्थल से दो शव शुक्रवार रात और छह शव शनिवार को बरामद कर लिए गए हैं। 7 घायलों को रेस्क्यू किया गया है। भारी बर्फबारी के कारण सीमा क्षेत्र तक जाने वाले मोटरमार्ग बर्फ से ढक गए हैं। इन्हें हटाने का कार्य किया जा रहा है। सेना की टीम शुक्रवार रात से ही लगातार रेस्क्यू के काम में लगी है अभी रेस्क्यू जारी है। बीआरओ से भी लगातार घटना स्थल की जानकारी ली जा रही है। घटना स्थल पर रेस्क्यू के साथ साथ सड़क से बर्फ हटाने का कार्य चल रहा है।

घटनास्थल की हेलीकॉप्टर से ली गई तस्वीरें

2007 में भी हुआ था बड़ा हादसा

‘सुमना 2’ में 2007 में ऐसा ही एक बड़ा हादसा हो चुका है। इसमें 13 आईटीबीपी के जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद आईटीबीपी की चौकी को यहां से नदी के दूसरी ओर शिफ्ट कर दी गई थी।

चमोली से पिथौरागढ़ जाने का पुराना रास्ता

जहां ये हादसा हुआ है, वो माणा, नीति और मलारी के लोगों का पिथौरागढ़ के मिलम पहुंचने का पैदल रास्ता था। यह सुमना के बाद बेहद संकरा और खतरनाक हो जाता है। ये पैदल रास्ता नंदा देवी पर्वत के बीचों-बीच दुर्गम दर्रों से होकर गुजरता है।

नैन सिंह रावत ने पैदल नापा था रास्ता

तिब्बत का नक्शा तैयार करने वाले महान सर्वेयर नैन सिंह रावत ने मार्च 1854 में माणा से मिलम अपने गांव भटकूड़ा की यात्रा 13 साल की पत्नी के साथ की थी। नंदा देवी मलारी से सुमना तक 16 किलोमीटर का मोटर मार्ग बीआरओ बना चुकी है। ये पूरा इलाका एवलांच की दृष्टि से खतरनाक है। इस इलाके से पांच मिनट की दूरी पर ही चीन सीमा है।

सीएम तीरथ रावत ने घटना स्थल का दौरा करने के बाद जोशीमठ में सेना और प्रशासन के अफसरों के साथ बैठक की।

इस जगह 1962 में चीन ने किया था कब्जा

ये इलाका सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने यहां पर भारत की स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स पर हमला कर इस इलाके को कब्जा लिया था। जब तक भारत की सेना यहां तक पहुंचती, तब तक चीनी सेना यहां से चीन की ही तरफ दूसरी दिशा की ओर मुड़ गई। भारतीय सेना ने फिर से इस पोस्ट पर कब्जा कर लिया।

नीति घाटी में मलारी बॉर्डर स्थित सुमना गांव के निकट ग्लेशियर टूटने पर घटनास्थल के हवाई निरीक्षण के बाद भी वहां चल रहे रेस्क्यू कार्य की मैं लगातार मॉनिटरिंग कर रहा हूं। मुझे बताया गया कि सुमना में जहां ग्लेशियर टूटा, वहां बीआरओ के लगभग 400 लेबर काम कर रहे थे, जिनमें से कुल 391 लोग सेना और आईटीबीपी के कैम्पों तक पहुंच गए हैं और पूरी तरह से सुरक्षित हैं। 6 मजदूरों के मारे जाने की जानकारी मिली है जबकि 4 लोग घायल हैं। मौके पर सेना और आईटीबीपी की टीमें तत्परता से राहत बचाव कार्य में जुटी हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की कुछ टीमें भी आगे बढ़ रही हैं। जिला प्रशासन भी शुक्रवार से ही पूरी मुस्तैदी से राहत-बचाव में जुटा है। गाजियाबाद में भी एनडीआरएफ की टीमें अलर्ट मोड पर हैं।
-तीरथ सिंह रावत मख्यमंत्री उत्तराखंड

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