
चारधाम परियोजना की अनोखी टनल
hys_adm | October 11, 2020 | 0 | नया-ताजा , पहाड़ की बात , विकास
एक्सक्लूसिव : टनल का नाम आते ही अंधेरी सुरंग का ख्याल मन में आने लगता है। साथ ही किसी पहाड़ी या जमीन के अंदर कटान और उसे बनाने के दृश्य आंखों में तैरने लगते हैं, लेकिन चमोली जिले में एक अनोखी सुरंग बन कर तैयार हुई है। इसमें न तो पहाड़ी पर छेद किया गया है और न ही जमीन के अंदर खुदान की गई है।

पर्यावरण को कम से कम नुकसान
वैसे तो चारधाम परियोजना और विवादों का चोली-दामन सा रिश्ता रहा है। परियोजना की शुरुआत से ही पर्यावरणविद् पर्यावरणीय नुकसान को लेकर सवाल उठाते रहे हैं, वहीं स्थानीय लोग भी अपने हक-हूकूक को लेकर जब-तब मुखरित हुए हैं। लेकिन इस परियोजना की कुछ बातें ऐसी भी हैं, जो आने वाले दिनों की तस्वीर बदल देंगी। ऐसी ही सुखद तस्वीर है पातालगंगा नामक जगह पर तैयार यह टनल (सुरंग)।

सड़क का सुरक्षा कवच है यह टनल
जी हां, आमतौर पर टनल किसी पहाड़ को काटकर या जमीन के अंदर बनाई जाती हैं, लेकिन यह टनल सड़क के बीचोंबीच बनाई गई है। यह टनल (सुरंग) बदरीनाथ नेशनल हाईवे (एनएच 7) पर ऑल वेदर रोड (चारधाम परियोजना) के तहत जोशीमठ से चमोली के बीच पातालगंगा नामक जगह पर बनकर तैयार है। आजकल टनल को फाइनल टच देने और रंगरोगन का काम जोरों पर चल रहा है। पालातगंगा में खड़ी पहाडी से जब-तब बड़ी तेजी से पत्थर गिरते रहते थे। इससे राहगीरों को जानमाल का खतरा बना रहता था। इस टनल के बनने से पहाड़ी से जहां पत्थरों के गिरने का खतरा नहीं रहेगा, वहीं पहाड़ी से आने वाले मलवे और बरसाती पानी से भी निजात मिलेगी। एक तरह से यह टनल सड़क का सुरक्षा कवच है।

जानिए, इस ओपन टनल की खूबी
चारधाम परियोजना की इस ओपन टनल की कार्यदायी संस्था हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी के परियोजना प्रबंधक पंकज चैधरी का कहना है कि इस टनल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि पहाड़ी से गिरने वाले मलबे और पत्थर से कोई नुकसान नहीं होगा। इससे सड़क से यात्री बेरोकटोक आ-जा सकेंगे। 150 मीटर यह टनल करीब 7.5 मीटर ऊंची और 10 मीटर चौड़ी है। इसको 15 करोड़ की लागत से बनाया गया है। टनल के ऊपर पत्थरों की एक ढालदार दीवार बनाई जा रही है, जिससे पहाड़ी से गिरने वाले पत्थर टनल को नुकसान पहुंचाए बिना नीचे गिर जाए।

मलबा गिरने वाली जगह के लिए उपयोगी
पर्यावरणीय नुकसान को कम करने के लिहाज से यह टनल काफी कारगर दिखती है, इससे न तो पहाड़ी को काटा गया है न ही किसी पहाड़ पर छेद किया गया है। इस तरह के प्रयास को पहाड़ी क्षेत्रों के भूगोल के लिहाज से बहुत जरूरी लगता है। यदि यह टनल सफल होती है तो सरकार को चाहिए कि उत्तराखंड में उन जगहों पर इस तरह की टनल बनाई जाए, जहां बरसात में हर साल पत्थर गिरने से जब-तब लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।