जानिए, दिव्या का दमदार बिजनेस आइडिया
hys_adm | July 15, 2022 | 1 | कैटेगरी , पहाड़ की बात , शख्सियत
उत्तराखंड में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता हासिल करने वाली मशरूम गर्ल दिव्या रावत अब एक नए बिजनेस आइडिया के साथ स्वरोजगार की नई इबारत लिखने जा रही हैं। देहरादून के राजपुर रोड पर उन्होंने मशमश रेस्टोरेंट शुरू किया है, जिसका उदघाटन रविवार 10 जुलाई 2022 को उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने किया। आइए, जानते हैं इस लेख में दिव्या रावत के इस दमदार बिजनेस आइडिया को…
उत्तराखंड की मशरूम ब्रैंड एंबेसडर दिव्या रावत ने बताया कि रेस्टोरेंट के माध्यम से एक मॉडल पेश किया जाएगा, जिसके माध्यम से मशरूम की विभिन्न प्रजातियों से बने व्यंजन को परोसा जाएगा। यह काफी स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक हैं। इसका मुख्य उद्देश्य मशरूम उत्पादकों को बाजार देना है। साथ ही सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जो रिवर्स पलायन रोकने में वरदान साबित होगा । आज प्रदेश के अधिकांश लोग बाहर अन्य होटलों में काम करते हैं और वो प्रदेश में आकर काम करना चाहते है, ऐसे लोगों को हम वापस बुलाकर काम मुहैया कराएंगे । मशरूम का उत्पादन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति यही पूछता था कि मशरूम कहा बेचेंगे, उसी का मॉडल है ये मशमश रेस्टोरेंट । दिव्या ने बताया कि मशरूम से जो प्रोडक्ट बनाए जाते हैं, उसे प्रमोट किया जाएगा। वह कहती हैं कि किसानों के प्रोडक्ट इतने बेहतर नहीं हो पाते ही मार्केट की प्रतिस्पर्धा में हिस्सा ले सकें। क्वालिटी के साथ प्रजेंटशन जरूरी है। इसलिए हमने रेस्टोरेंट और रिटेल आउटलेट के कांस्पेक्ट को चुना है। मशरूम की कई प्रकार प्रजातियां हैं। सभी के अलग-अलग फायद और उपयोग हैं। कोशिश ये भी है कि मशरूम की रेसिपी को लेकर लोग जागरूक हों। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने दिव्या रावत की तारीफ करते हुए कहा कि अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर एक मुकाम हासिल किया है, जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि दिव्या आज नौकरी देने वाली बन गई है, जो कि प्रदेश के युवाओं की प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने कहा कि मशरूम के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है, जिसे रोजगार के रूप में अपनाना चाहिए जिससे आर्थिकी मजबूत होगी ।
पर्वतीय इलाकों के लिए मशरूम का व्यवसाय उपयुक्त
उत्तराखंड के चमोली (गढ़वाल) जिले के कोट कंडारा गांव निवासी दिव्या रावत ने दिल्ली में रहकर पढ़ाई की। पहाड़ों से उनका जुड़ाव रहा। 2013 में वह उत्तराखंड लौटीं, तब उत्तराखंड आपदा की मार से गुजर रहा था। उन्होंने स्वरोगार के जरिये पलायन रोकने की ठानी। मशरूम उत्पादन शुरू किया। दिव्या बताती हैं, जब वह पहाड़ गईं तो ज्यादातर घरों में ताले लगे थे। रोजगार के लिए लोग पलायन कर रहे थे। वह कहती हैं उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों के लिए मशरूम का व्यवसाय उपयुक्त है। कमरे के अंदर की जाने वाली खेती है, जिसे जंगली जानवरों से भी खतरा नहीं है। मशरूम ऐसी फसल है, जिसमें लागत कम है और बाजार में दाम अच्छे मिलते हैं। इसमें सबसे जरूरी होता है तापमान, जिसे कमरे के अंदर मैंटेन करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। सरकार भी मशरूम मिशन के जरिये मशरूम उत्पादक तैयार करने का काम कर रही है। मशरूम गर्ल दिव्या रावत बताती हैं कि मशरूम के लिए अच्छा बाजार तैयार हो गया है। पहाड़ों में लोग इसलिए खेती से दूर जा रहे हैं, क्योंकि जंगली जानवर नुकसान पहुंचा रहे हैं। दूसरा सिंचाई के लिए पानी पर्याप्त नहीं मिल पाता। मशरूम कमरे के अंदर होने वाला उत्पाद है। जंगली जानवर सुंअर और बंदरों से खतरा नहीं है। एक यूनिट लगाने के लिए करीब 30 हजार रुपये खर्च आता है। इसमें 15 हजार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होते हैं। जबकि 15 हजार प्रोडक्शन कास्ट आती है। डेढ़ महीने में लागत निकल आती है।
लगातार बढ़ रही मशरूम की खपत
उत्तराखंड में सरकार मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए मशरूम विकास योजना शुरू की गई है। मुख्य मशरूम विकास अधिकारी रामस्वरूप शर्मा बताते हैं कि मशरूम से कई तरह के उत्पाद तैयार हो रहे हैं। औषधीय महत्व होने के चलते दवाओं के साथ ही एनर्जी ड्रिंक और अन्य फूड प्रोडक्ट बन रहे हैं। मौजूदा वक्त में मशरूम के लिए अच्छा बाजार तैयार हो गया है। उत्पादन की बात करें तो पिछले वित्तीय वर्ष में गढ़वाल मंडल में 14 हजार मैट्रिक टन और कुमाऊं मंडल में 17 हजार मैट्रिक टन मशरूम का उत्पादन हुआ है। हाल ही में 47 लोगों को प्रशिक्षित किया। इनमें से 24 लोगों को 415 किलो मशरूम स्पॉन (बीज) दिया गया। इनके जरिये छह हजार किलो मशरूम तैयार की गई। बाजार, दवा कंपनियां, फूड कंपनियां, होटल-रेस्टोरेंट में मशरूम की खपत बढ़ी है।