तोता सिंह ठेकेदार और तोता घाटी, रोचक इतिहास - कॉलम

तोता सिंह ठेकेदार और तोता घाटी, रोचक इतिहास

hys_adm | September 27, 2020 | 2 | कॉलम

ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग ( नेशनल हाईवे) पर व्यासी के बाद और साकनीधार से पहले पड़ने वाली तोताघाटी की चट्टानों के बीच से गुजरने का अनुभव जितना रोमांचकारी है, उतनी ही रोचक यहां सड़क निर्माण से जुड़ी कहानी है। अब शायद आपको वह रोमांच का अहसास न हो पाए, क्योंकि ऑलवेदर रोड के काम में इन चट्टानों को लगभग नेस्तनाबूद कर दिया गया है, लेकिन 40 के दशक में इन कठोर चट्टानों को तोड़कर सड़क निर्माण की चुनौती और इस जगह के नामकरण का इतिहास आज भी आपको रोमांचित करेगा। तो आप भी इस लेख के माध्यम से हमारे साथ इस साहसिक सफर में जुड़िए…

व्यासी के बाद और साकनीधार से पहले पड़ने वाली इस पहाड़ी ने 21वीं सदी में आधुनिक मशीनों की भी ठीक उसी तरह से परीक्षा ली, जैसे 40 के दशक में ठेकेदार तोता सिंह की परीक्षा ली थी। जब ऋषिकेश से देवप्रयाग मार्ग का निर्माण शुरू हुआ तो इस जगह पर हार्ड रॉक होने के कारण किसी भी ठेकेदार ने उस रेट पर टेंडर लेने से इनकार कर दिया। क्योंकि यहां पर सड़क बनाना आसान नहीं था। तब तोता सिंह नामक ठेकेदार उसी रेट पर इस शर्त पर सड़क बनाने को तैयार हुए कि इस जगह का नामकरण उनके नाम पर किया जाए।

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तोता घाटी में चल रहा ऑल वेदर रोड का काम। -प्रतिकात्मक तस्वीर

बताते हैं कि तोता सिंह को इस जगह पर सड़क बनाने में भारी घाटा हुआ। तोता सिंह ने अपनी सारी जमापूंजी लगा दी और वह सड़क बनाने में सफल रहे। तब से ही इस जगह का नाम तोताघाटी रखा गया। खास बात यह है कि यह नाम केवल बोलचाल में नहीं, बल्कि राजपत्र में भी दर्ज है। इससे पहले जब हाईवे चौड़ीकरण का काम हुआ, तब भी इस जगह के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई। अब ऑलवेदर रोड निर्माण के दौरान इस पूरी पहाड़ी को काट दिया गया है। आज के दौर में जब अत्याधुनिक मशीनें और तकनीक है, तब भी इस पहाड़ी को काटने में कंस्ट्रक्शन कंपनी को बहुत पसीना बहाना पड़ा। करीब छह महीने से इस पूरे इलाके में दर्जनों मशीनें लगी हैं और अभी भी पूरी तरह से पहाड़ी को नहीं काटा जा सका है। अभी भी कुछ और दिन पहाड़ी को काटने में लग सकते हैं। इसके बाद फिर कभी यह घाटी नजर नहीं आएगी और विकास के साथ भूगोल बदल जाएगा।

ऋषिकेश में कैलाश गेट के पास कैलाश आश्रम की बाउंड्रीवाल पर लगा पत्थर। साभार- अनिल चमोली

..और तोता सिंह का नाम पड़ गया था ‘लाट साहब’

इस जगह पर सड़क बनाने के लिए अपनी जमापूंजी लगाने वाले ठेकेदार का पूरा नाम तोता सिंह रांगड़ था। यह मार्ग ऋषिकेश से देवप्रयाग तक टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह ने संवत 1988 से 1991 में दीवान आईपीएस पंडित चक्रधर जुयाल की देखरेख में बनाया था। यानी की यह मार्ग 1931 में बनना शुरू हुआ और 1935 में बनकर तैयार हो गया था। इसका पता ऋषिकेश में कैलाश गेट के पास कैलाश आश्रम की बाउंड्रीवाल पर लगे पत्थर से चलता है। तोताघाटी में सड़क बनाने वाले ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ टिहरी जिले के प्रताप नगर ब्लॉक की भदूरा पट्टी के रौणिया गांव के रहने वाले थे। उनके नाती एमएस रांगड़ गढ़वाल मंडल विकास निगम के ऋषिलोक गेस्ट हाउस मुनिकीरेती में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं।

आगे की कहानी तोता सिंह जी के नाती की जुबानी…

एमएस रांगड़ ने बताया कि तोता घाटी में सड़क बनाना आसान नहीं था। इसे मेरे दादा जी ने नाक का सवाल बना दिया था। दादी को अपने सारे गहने बेचने पड़ गए थे। दादा जी इस जगह पर सड़क बनाने में कामयाब रहे तो टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह ने उनको बुलावा भेजा। बताते हैं कि तोता सिंह, तब अपनी ठेकेदारी के काम में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने राजा के निमंत्रण पर गौर ही नहीं किया। कई बार बुलाने के बाद वह दरबार में गए। बताते हैं कि तब राजा ने नाराजगी जताई और कहा कि आप तो बहुत लाट साहब बन रहे हैं। तोता सिंह ने अपने गांव जाकर यह किस्सा लोगों को सुनाया और फिर लोगों ने उनका नाम ‘लाट साहब’ ही रख दिया। उनके नाती एमएस रांगड़ बताते हैं कि जब राजा को पता चला कि तोता घाटी में सड़क बनाते वक्त घाटा हो गया तो राजा नरेंद्र शाह ने उन्हें नरेंद्रनगर में काफी जमीन दिलाई। तब तोता सिंह अपने गांव से नरेंद्र नगर आकर बस गए। उसके बाद और आज भी इस परिवार की राज परिवार से नजदीकी रही। 86 साल की उम्र में ठेकेदार तोता सिंह का निधन हो गया था।

anil chamoli totaghati story
Anil Chamoli

लेखक अनिल चमोली वरिष्ठ पत्रकार हैं, देहरादून में इस वक्त सेवाएं दे रहे है. जनसरोकारों से जुड़े विषयों पर लिखते रहते हैं. फेसबुक पर उनकी उत्तराखंड आंदोलन से जुड़े संस्मरण की सीरीज भी काफी पसंद की जा रही है.

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2 thoughts on “तोता सिंह ठेकेदार और तोता घाटी, रोचक इतिहास

    • Author gravatar

      परम सम्मानित बडे भाई श्री अनिल चमोली जी का आभार ।
      उन्होने तोता घाटी के नामकरण की घटना हम सभी के पटल पर रखकर हमारे ज्ञान मे वृद्धि की।तोताघाटी के इतिहास को बडे ही रोचक व तथ्यपरक उजागर कर हम सभी के समक्ष रखा ।श्री चमोली जी के कई लेख मैंने फेसबुक पर पडे जो वास्तव में उनकी कलम पर अच्छी महारथ को प्रदर्शित करते हैं—मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उनकी पत्रकारिता में अनवरत उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे व उनकी पहचान दिगदिगंत चहुँ दिशाओं मे फैले।

    • Author gravatar

      बहुत ही प्रेरणादायक प्रसंग है, श्री तोता सिंह जी को मैंने भलीभांति देखा था मूछों के साथ लम्बी नाक और लम्बा कद वाकई आज भी पूरे उत्तराखंड की नाक और कद बढ़ा रहे हैं l
      वे भले ही हमारे बीच नहीं हैं but आज के तथाकथित ठेकेदारों के लिये उनके द्वारा उस समयावधि में किया गया कार्य मील का पत्थर साबित हुआ है l
      उनकी पुण्यात्मा को सादर नमन 🙏🙏

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