पहाड़ के मेलों की जान है हाथी नृत्य
hys_adm | October 3, 2020 | 0
उत्सवधर्मी पहाड़ में मेलों की सशक्त परम्परा रही है। ये मेले खेती-किसानी, संस्कृति और व्यापार के इर्द-गिर्द आयोजित होते हैं। मेलों में यहां की संस्कृति के विविध रंगों का तानाबाना ऐसा रचा होता है कि आप इसके कायल हुए बिना नहीं […]
दीपावली की तैयारी ऐपण से!
hys_adm | September 27, 2020 | 0
खेतों का अनाज कोठारों तक पहुंचाने के बाद कुमाऊं का समाज घरों की साफ-सफाई पर जुट जाता है। दीपावली से पहले घर को ऐपण से जो सजाना होता है। इसलिए बरसात खत्म होते ही खेतों से अनाज कोठार में पहुंचाने की […]
हिमालय की लोकदेवी झालीमाली
hys_adm | August 16, 2020 | 0
मध्य हिमालय में देवी भगवती/दुर्गा के नौ रूपों यथा शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कुशमाण्डा, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के अतिरिक्त अन्य कई स्थानीय रूप हैं। इसमें नंदा, राजराजेश्वरी, चन्द्रबदनी, सुरकण्डा, भ्रामरी, मठियाणा, कुंजापुरी, धारीदेवी, ज्वालपा, भराड़ी, गढ़देवी, कंसमर्दिनी, पातालभुवनेश्वरी, अनुसूया, झूलादेवी, […]
राजी रहो मेरे खेल खिलाड्यों, अब आऊंगी दूसरे…
hys_adm | August 9, 2020 | 0
ठंड कम होने के साथ ही उत्सवधर्मी पहाड़ और पहाड़ी समाज इस पल को उत्सवों में बदलने की कोई कसर नही छोड़ता है। जंगल बुरांश, मेहल, प्यूली के फूलों से लकदक होते हैं तो चीड़ अपने परागण से पूरी धरती को […]